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तुम कहो / कमलकांत सक्सेना

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एक सागर भावना का
तुम कहो, गोता लगा लूँ
तुम कहो, लहरें जगा दूँ
तुम कहो, शबनम बना दूँ,

एक बादल कामना का-
तुम कहो, नाचूं, नचा लूँ
तुम कहो तो, गीत गा लूँ
तुम कहो, झड़ियाँ लगा दूँ
तुम कहो, तन मन गला दूँ,

एक उपवन कल्पना का-
तुम कहो, खुशबू चुरा लूँ
तुम कहो तो, रूप ढा लूँ
तुम कहो, कलियाँ खिला दूँ
तुम कहो, कण-कण मिला दूँ,

एक दर्पण प्रार्थना का-
तुम कहो, सूरत सजा लूँ
तुम कहो तो, रंग पा लूँ
तुम कहो, पर्दा गिरा दूँ
तुम कहो अर्पण दिखा दूँ,