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घर : जंगल / धनंजय वर्मा
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लौटना ही है अब तो
वन की इस गोद से
उस वीराने में, जहाँ घर है।
सल्फ़ी, महुआ और शाल
वहाँ नहीं हैं,
लालाजी, बिल्लू और कुमार
वहाँ नहीं हैं
बाई और अम्मा के दरस-परस में
लौट आता बचपन
वहाँ नहीं है,
घर में पहुँचकर
जंगल की क्यों याद आती है... !