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नया नया कुछ करना है / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:42, 16 जून 2018 का अवतरण
नया नया कुछ करना है।
जनता का दुख हरना है।।
पड़ी देश पर है विपदा
किन्तु न उस से डरना है।।
वैरी यदि इस ओर बढ़ा
लिखा भाग्य में मरना है।।
अगर किया वादा कोई
उस से नहीं मुकरना है।।
लम्बी राहें जीवन की
सबको मगर गुजरना है।।
फूल खिला है आज अगर
कल फिर उसे बिखरना है।।
आजादी की बाला को
सजना और सँवरना है।।