भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वह सब कुछ हो गया लेकिन / पंकज चौधरी
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:56, 10 जुलाई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पंकज चौधरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
वह भी सांसद हो गया
विधायक हो गया
मंत्री बन गया
मज़दूरों का नेता बन गया
अरबपति-खरबपति बन गया
पचास देशों की यात्राएं कर गया
महान लेखक हो गया
महान संपादक हो गया
विमर्शों का केंद्र बन गया
कोर्सों में पढ़ाया जाने लगा
पुरस्कारों-सम्मानों का अम्बार लगा गया
अपने नाम से चेयर (पीठ) बना गया
वह सब कुछ हो गया
लेकिन इंसान नहीं हो पाया
इंसान बनंना
कितना कठिन होता जा रहा है!