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टीस /राम शरण शर्मा 'मुंशी'
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प्रसव की पीड़ा
दिशा में
हहराता-सा तन,
वेदना झकझ्होरती
ज्यों गरजता है घन !
टीस
नभ को चीर
कसकी
लपट-सी उजली जली,
फिर बुझ गई
बिजली कहीं चमकी !