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नन्हीं-नन्हीं बुँदियाँ (सावन-गीत) / खड़ी बोली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

नन्हीं-नन्हीं बुँदियाँ रे

सावण का मेरा झूलणा

एक सुख देखा मैंने अम्मा के राज में

हाथों में गुड़िया रे, सखियों का मेरा खेलणा

नन्हीं-नन्हीं बुँदियाँ रे…

एक सुख देखा मैंने, भाभी के राज में

गोद में भतीजा रे गळियों का मेरा घूमणा

नन्हीं-नन्हीं बुँदियाँ रे…

एक सुख देखा मैंने बहना के राज में

हाथों में कसीदा रे फूलों का मेरा काढ़णा

नन्हीं-नन्हीं बुँदियाँ रे…

एक दु:ख देखा मैंने सासू के राज में

धड़ी- धड़ी गेहूँ रे चक्की का मेरा पीसणा

नन्हीं-नन्हीं बुँदियाँ रे…

एक दुख देखा मैंने जिठाणी के राज में

धड़ी- धड़ी आट्टा रे चूल्हे का मेरा फूँकणा

नन्हीं-नन्हीं बुँदियाँ रे

सावण का मेरा झूलणा