भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हाइकु 66 / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:21, 26 जुलाई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मीनारायण रंगा |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
आज रा बेटा
काटै मा रा हांचळ
सभ्य हुयग्या
मन री माटी
जे ऊगै गुलाब तो
कदै न सूखै
मिनख है कै
घुड़दौड़ रो घोड़ो
भागै ई भागै