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हाइकु 90 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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माथो कटावै
माथो नईं झुकावै
मरू रा पूत


प्राण लुटाया
पण कौल निभाया
पाबू-गोगाजी


प्रेम दीवाणी
मीरां नै जन्मा सकै
बस आ धरा