भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हाइकु 142 / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:44, 27 जुलाई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मीनारायण रंगा |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
स्वर्णायग्या है
सगळा बाळमीकि
इण जुग रा
प्रहलाद सै
माथा झुकोड़ा, नाचै
हिरणाकस
कठै हथाई ?
बंतळ करै बस
इंटरनेट