भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हाइकु 172 / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:49, 27 जुलाई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मीनारायण रंगा |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
सूरज जी रा
सातूं रंग परखै
बस प्रिज्म ई
राजहंस हां
चुगां मोती मोती म्है
सीप्यां जनता
सूरजमुखी
रूख बदळां हां म्है
सूरज सागै