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चैन मन में न मलीन सुनैन परे जल में न तई है / ताज

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चैन मन में न मलीन सुनैन परे जल में न तई है।
 'ताज' कहै परयंक यों बाल ज्यों चंपकी माल बिलाय गई हैं॥
नेकु बिहाय न रैन कछू यह जान भयानक भारि भई है।
भौन पैं भानु समान सुदीपक अंगन में मानों आगि दई है॥