भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जेकरा ले प्यार करीं ऊहे तड़पावेला / रामरक्षा मिश्र विमल

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:27, 4 अगस्त 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामरक्षा मिश्र विमल |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जेकरा ले प्यार करीं ऊहे तड़पावेला
दिल के धड़कन बनिके जिनिगी भरमावेला

खुशबू बनिके बगिया गम गम गमकावल जे
अँखियन में काहें दो पतझार बसावेला

अपनापन के कवनो परिभाषा जनि पूछऽ
ऊहे आपन होला जे दाम लुटावेला

लेके कबहूँ नउँवा जेकर मन खिल जाए
ऊ याद करे खातिर अँखिया सिकुरावेला

दिल के पागलपन पर नफरत के जोर कहाँ
हर प्यार करेवाला जी-जान लुटावेला

कवना असरा में तू बाड़ऽ चुपचाप,विमल’
दोसरा के बेरि इहाँ सभ आँखि चोरावेला