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आज हम उनके दर पे जाएंगे / शोभा कुक्कल
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आज हम उनके दर पे जाएंगे
अपनी किस्मत को आजमाएंगे
उठ चुका ऐतबार अब उनका
अब नहीं उनको आजमाएंगे
जब भी मिल बैठेंगे कभी हम तुम
गीत खुशियों के गुनगुनायेंगे
वो इधर आये न नहीं आएं
आने घर को तो हम सजायेंगे
आएं तो वो कभी हमारे घर
अपने हाथों उन्हें खिलाएंगे
नातुवा है नहीफ है शोभा
दर पे हम उनके कैसे जाएंगे।