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एक दरिया में बहता पानी है / ब्रह्मजीत गौतम
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एक दरिया में बहता पानी है
ज़िन्दगी की यही कहानी है
चंद साँसें हैं, दुःख हैं, सुख हैं
कैसी उम्दा ये बाग़बानी है
अब्र छूने का जोश जिसमें नहीं
कैसे कह दें कि वह जवानी है
झूठ के साथ है खड़ी दुनिया
कितनी मुश्क़िल में हक़बयानी है
उम्र-भर का विलाप और तड़पन
प्यार की बस यही निशानी है
कर लिया है प्रबन्ध जन्मों का
यह सियासत की मेह्रबानी है
‘जीत’ इस भीड़ में न खो जाना
यह नहीं गाँव, राजधानी है