भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
देश / दुष्यंत कुमार
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:23, 1 सितम्बर 2018 का अवतरण (Sharda suman ने देेेेश / दुष्यंत कुमार पृष्ठ देश / दुष्यंत कुमार पर स्थानांतरित किया)
संस्कारों की अरगनी पर टंगा
एक फटा हुआ बुरका
कितना प्यारा नाम है उसका-देश,
जो मुझको गंध
और अर्थ
और कविता का कोई भी
शब्द नहीं देता
सिर्फ़ एक वहशत,
एक आशंका
और पागलपन के साथ,
पौरुष पर डाल दिया जाता है,
ढंकने को पेट, पीठ, छाती और माथा।