Last modified on 3 सितम्बर 2018, at 13:25

बीस / आह्वान / परमेश्वरी सिंह 'अनपढ़'

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:25, 3 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=परमेश्वरी सिंह 'अनपढ़' |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

माँग न सिर का मोल जवानों
सारी दुनिया बिक जायेगी
मोल न मणियाँ दे पायगी
सोने-चाँदी-अबरख-जस्ते
हीरे आदि जबाहार सस्ते

शीश लौटाने का मेला है, हँस-हँस इतना बोल जवानों
भारत माँ के लिए प्राण यह
देख नहीं सकते जीवित रह
हो जाये बलिदान, न रूकना
किन्तु, भाल भारत का झुकना

लिखो खून से पाँती प्यारे शरहद से उर खोल जवानो
दुश्मन के सिर काट विछा दो
खून भी सस्ते, लाश भी सस्ते
ठहर नहीं सकते है चीनी
पाकिस्तानी तो गुलदस्ते
कहर मचादे तुम सीमा पर जय भारत! जय बोल जवानों
सुबह उठे हीं आँखे धो लो
प्यारे! आज गर्व से बोलो
जाना है शरहद पर वीरों
बम-गोला-बंदूक सम्हालो
कितनी शक्ति लिए जाते हो, साहस को मत तोल जवानो