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दया / नंदेश निर्मल
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दयावान जो बच्चे होते
लाचारों की सेवा करते
सहपाठी में घुल-मिल करके
सेवा का वृत करते रहते।
दयावान जो बच्चे होते
लाचारों की सेवा करते।
पढ़ो-लिखो पर साथ-साथ में
जन-सेवा की आदत डालो
कल कंधा तुम बनो विपत के
बापू भी तो थे यह कहते।
द्यावान जो बच्चे होते
लाचारों की सेवा करते।
देश अहिंसक यह भारत है
कभी नहीं तुम हिंसा करना
अमन दूत का पाठ पढ़ाते
चाचा नेहरू थे यह कहते।
दयावान जो बच्चे होते
लाचारों की सेवा करते।
चलो आज ही यह ठानें हम
हर प्राणी से द्या करेंगे
पौधे, पक्षी ओ पशुओं की
अच्छे लोग हिफाजत करते।
दयावान जो बच्चे होते
लाचारों की सेवा करते।