भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नयन हैं नशीले नज़ारों से परिचित / शेरजंग गर्ग

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:14, 4 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शेरजंग गर्ग |अनुवादक= |संग्रह=चंद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम्ही मिल गए हो डगर के बहाने।
किनारा मिला है भँवर के बहाने।।

हमारे हृदय तक तुम्हारे हृदय की
खबर आ रही है नज़र के बहाने।

टहलते टहलते हुए पार कर लीं
कई मंज़िलें हमसफ़र के बहाने।

पिघलने लगा है, बदलने लगा है,
किसी का हृदय चश्मेतर के बहाने।

सुना जबकि तुम याद करते ही हमको
हुए बेखबर इस खबर के बहानें।

ज़माना ज़हर से गिला कर रहा है
मगर हम जिए हैं ज़हर के बहाने।