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मोहभंग का गीत / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग

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व्यर्थ तुम्हारे प्रणय-निवेदन
मौन-मुखर सारे संबोधन
मत दोहराओ आज प्यार का तुम मुरदा इतिहास।

बन न सकेगा, बन न सकेगा
दो तिनकों का नीड़,
इसको तितर बितर कर देने
चली आ रही भीड़,
बचने की कोशिश मत करना
संभवतः पड़ जाये मरना
यही नियति हे मित्र हमारी, होना नहीं उदास।

व्यावहारिक संसार और
इसका विलोम है प्यार,
इन्द्रधनुष के रंगों जैसा
कोई नहीं उदार,
किसी सत्य का हाथ थाम लो,
सपनों का हरगिज़ न नाम लो,
कर पाओ तो मोहभंग में सुख की करो तलाश