भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बाना गीत / भील

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:18, 5 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKLokRachna |भाषा=भील |रचनाकार= |संग्रह= }} <poem> बाना तने हाताना...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बाना तने हाताना भोरी लाँ दलड़ा लाग्या रेऽऽऽ
हजारी बालक बनेड़ा बाना तने बानो कुकके वालो।
काई वतणवारे हजारी बालक बनेड़ा
बाना तने बानो कुकके वाले।
हाथाना भोरी लाद लड़े लाग्यानो रे
हजारी बालक बनेड़ो।
बानाजी तमने केड़ा ना कन्दौरा दले लाग्या रेऽऽऽ
हजारी बालक बनेड़ा...।
(स्रोत व्यक्ति-मांगीलाल सोलंकी)

- दूल्हे! तेरे हाथ में मेरी भँवरी (दुल्हन) है। उससे तेरा मन मिल गया है। तू तो हजारों में एक है। तुझे अब हम क्या बतलायें? तेरे से मेरी दुल्हन का दिल लग गया है। तेरे कमर का कन्दौरा भी उसे पसन्द आ गया है। उस पर भी उसका दिल आ गया है।