भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विवाह गीत / 8 / भील

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:21, 5 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKLokRachna |भाषा=भील |रचनाकार= |संग्रह= }} <poem> बेनो कुड़छी पर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बेनो कुड़छी पर बठो कड़ा मांगे।
बेनो कुड़छी पर बठो तागल्या मांगे।
बेनो कुड़छी पर बठो हार मांगे।
बेनो कुड़छी पर बठो मूंद्या मांगे।
बेनो कुड़छी पर बठो हाटका मांगे।
बेनो कुड़छी पर बठो बेड़ि मांगे।

- दुल्हन के समान दूल्हा भी गहने पहनता है, उनका वर्णन गीत में किया गया है-

बना कुर्सी पर बैठा हुआ कड़े माँग रहा है। तागली, हार, बीटियाँ, हाटका, बेड़ी माँग रहा है। कड़े हाथ में पहनने का, तागली गले में पहनने का, हार गले में पहनने की, हार गले में पहनने की, बीटी अँगुली में पहनने का, हाटका बाँह पर पहनने का और बेड़ी पैर में पहनने का आभूषण है।