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वर शृँगार गीत / 2 / भील

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भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पागा बांधो रे बेना, पाघा बांधो।
तिलो कुण सवारेगा, तिलो कुण सवारेगा।
धुति पेहरो रे बेना, धुति पेहरो।
धुति कुण सवारेगा। धुति कुण सवारेगा।
धुति भाइ सवारेगा, धुति भाई सवारेगा।
झूल पेहरो रे बेना, झूल पेहरो।
झूल कुण सवारेगा, झूल कुण सवारेगा।
मुजा पेहरो रे बेना, मुजा पेहरो।
मुजा कुण सवारेगा, मुजा कुण सवारेगा।
मुजा भाई सवारेगा, मुजा भाइ सवारे।
मुजड़ि पेहरो रे बेना, मुजड़ि पेहरो।
मुजड़ि कुण सवारेगा, मुजड़ि कुण सवारेगा
मुजड़ि बणवि सवारेगा, मुजड़ि बणवि सवारेगा।
तरवार धेरा रे बेना, तरवार धरो।
तरवार बणवि सवारेगा, तरवार बणवि सवारेगा।
मोड़ बांधो रेबेना, मोड़ बांधो।
मोड़ कुण सवारेगा, मोड़ कुण सवारेगा।
मोड़ बइं सवारेगा, मोड़ बइं सवारेगा।

- दूल्हे से कहा गया कि- पगड़ी बाँधो, पगड़ी का तिल्ला कौन व्यवस्थित करेगा? उत्तर में गाया जाता है कि तिल्ला भाई व्यवस्थित करेगा। इसी प्रकार सभ शृँगार को व्यवस्थित करने वालों के नाम लेते हैं। मौर को बहिन बाँधती है।