भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गाली गीत / 2 / भील
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:55, 5 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKLokRachna |भाषा=भील |रचनाकार= |संग्रह= }} <poem> काकड़ी नो डीरो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
भील लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
काकड़ी नो डीरो टरका करे।
आइणि नो माटि टरका करे।
काकड़ी नो डीरो टरका करे।
मंगली नो माटी टरका करे।
काकड़ी नो डीरो टरका करे।
सुमली नो लाड़ो टरका करे।
- ककड़ी का डीरा टर-टर कर रहा है, समधन का पति टर्रा रहा है। ककड़ी का डीरा टर-टर कर रहा है, मंगली का खसम टर्रा रहा है। ककड़ी का डीरा टर-टर रहा है, सुमली का पति टर्रा रहा है।