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विवाह गीत / 15 / भील
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भील लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
तू ते नहाई ले वो गोरी बनी।
तारा पाट ना नीचे नीर उहे।
तू ते सापड़ि तेरे सापड़ी ले बूढ़ा लाड़ा।
हामु कुकड़ो नी खीजे, बुकड़ो नि खाजे।
नंदी धड़े हामु बाम्हण्या रे।
हंइ मंगलि ठगारी ठगि देसे रे।
नंदी धड़े हामु बाम्हण्या रे।
हामुंग दितल्यो ठगारो ठगि देसे रे।
हामु दितल्यो वाली के ली लेसुं रे।
- गोरी बनी को गीत में कहा गया है कि- तू स्नान कर ले, तेरे पाट के नीचे पानी बह रहा है। दूल्हे को यहाँ स्नान नहीं कराते हैं, पर गीत में कहा गया है कि तू स्नान कर ले बूढ़ा दूल्हा। हम मुर्गा बकरा नहीं खाते हैं हम बामण्या जाति के हैं। बामण्या गोत्र के लोग मुर्गा बकरा नहीं खाते हैं। अब ठगोरी मंगली हमें ठग लेगी। हमें दितल्या ठग लेगा। हम दितल्या की पत्नी को ले लेंगे।