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बारात गीत / 1 / भील
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भील लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
तूके कुण बुलायो, ने कुणे घर आयो रे
रायजादा बनड़ा।
तारा काकड़ पर डेरो देणो देजी वो
रायजादी बनड़ी।
तारो दाजी लिखलो कागद में क्यों वो
रायजादी बनड़ी।
तारा मांडवा मा डेरा देणों देजी वो
रायजादी बनड़ी।
तूके कुण बुलायो, ने कुणे घर आयो रे
रायजादा बनड़ा।
- इस गीत में वधू पक्ष की स्त्रियाँ दूल्हे से कह रही हैं- तुझे किसने बुलाया और तू किसके घर आया है? तो दूल्हा, दुल्हन से कह रहा है कि- तेरे पिताजी ने पत्र देकर मुझे यहाँ बुलाया है। तुम्हारे गाँव व मंडप में मुझे ठहरने दो।