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सर्प दंश से सम्बन्धित मंत्र / भील

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भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बड़वा नीम की पाँच टहनी पत्ते वाली लेता है और पीड़ित व्यक्ति के सामने बैठकर सर्प का जहर उतारने के लिए मंत्र बोलता है, नीम की टहनियों को पीड़ित व्यक्ति के सिर से झाड़ा डालता है।

जिसे सर्प काटा हो उसे पूर्व दिशा की ओर मुँह करके जमीन पर बैठा देते हैं, लाल धागा भीलट बाबा की मान लेकर बड़वा पीड़ित के दाहिने हाथ में बाँध देता । मान यह लेता है कि जहर उतर जायेगा तो सवा पाव शक्कर, पेठा, गेहूँ का आटा, घी लेकर प्रसाद बनाकर भीलट बाबा को भोग लगाकर, सबसे पहले भानेज
को प्रसाद देकर बाद में दूसरे लोगों को बाटूँगा।

मंत्र-1

चालक चलावनि बोर की मिठी लगडोडा
परोलो की पपड़ी काली कुत्ती गले काम से दर में घुसी
हाल हेर करी पकड़ा नवनागनी नव वाटा पड़या तो एक
वाटो दिवड़ खाई गयो कुआँमर जड़ी ताहॉ आया साथ हाथी
हाथी, हाथी रिस करें रोटा, रोटी भान दिया,
ताह निकलीयो कालो नाग नाग का बेटा का नाम डुचकियो,
उदालाल, पानलाल, धामन सुरित निल बागरे छिट परनी,

मंत्र-2

माथे काटनी नी मुड़ल में मेकिस जिप काटीन आरती में
मेकिस हजुर जामनी दाँव पाय खड़ो रहीन धोग दिस

मंत्र-3

दरिया न काँटा वाकि वड़ली न चाहाँ बाधीयो हिरन हिडोलो
दरिया न काँटा वड़ली न चाहाँ हिचारू छिट परली नागन,
दरिया न काँटा वाकि वड़ली न चाहाँ हिचारू लाड़ी, बाडी नागन फुफल, फुगारी
दरिया न काँटा वाकि वड़ली न चाहाँ बाधीयो हिरन हिडोलो,
ताहा हिचारू दिवेदो नागन धामन की नागन,
दरिया न काँटा वाकि वड़ली न चाहाँ बाँधीयो हिरन हिडोलो,
चाहा गुयरो गुहराव छीबरो नागन,
दरिया न काँटा वाकि वड़ली न चाहाँ बाधीयो हिरन हिंडोलो,
भुई सापन दरछायी
दरिया न काँटा वाकि वड़ली न चाहाँ बाधीयो हिरन हिंडोलो,
आम्बा-सम्बा हिदल नाखे भिलड़ बाबो धुराव न दखनाव,
हवा चाले हिड़ल हिचे, हिचे, हिचे टुट पड़ीयो,
दरियाम पड़यो, रहीयो मगर माछलो चुसि डासियो खाई गयो
धरती गुजपिय उतारू मारसी नि उतरेतो तो सवाँ हाथ डन्डो उतारू
सातपुड़ी जमीन माता इस्माल जोगी निकालियो
तो कपन गाय न गोह आयो, ग्वालीया पोरिया हतला ग्वालियर
पोरिया क इस्माइल जोगी पूछियो कि निल्लो, पिल्लो वासड़ो
देखियो नी पोरिया कहीयो कि भरिया डूँगर में छ बाबा
निलो, पिल्लो वासड़ो ढंूढतो-ढूंढतो गयो, भरिया डूँगर में
जड़ गयो वासड़ो सोलह लौंग, सुपारिया, हाथ में लेदी
गुगेड़ी लाकुड़ काखम में लेधा झोलना चोटियालो नारियल
अगरबत्ती लोबान चुनियो कुकड़ा कोरी भाटी नो दारू
काचा सुत, सुती देधो वासड़ा मर पूजा पाट
कर देदी दाऔ झाटको मारियो तो दुधियो तलाब बनियो
जेवडियो झाटको मारियो तो खुन न तलाव बनियो
वासड़ो काटिन दाबल बनाया, जाल, कालो नाग
फुक मारिया निल्ली, पिल्ली जमीन हईगई स्वर्ग में निल्लो, पिल्लो बाण फुट गयो,

मंत्र-4

अम्बी न साम्बी जाल फेकेरे काला नागक धखा लागियो
काला नाग धरया गियो न दाबला भरने लागिया,
रामलो, धामलो तपन लागियो आबी न तुलवारा मार,
अदलिया फेरम रातु न दिसु गोबा वधवा लागिया,
कागनी फेरम रातु न दिसु गोबा वधवा लागिया,
आम्बी-साम्बी न जाल फेकेरे जोगी धुचकिया,
नागन काजे धरी लेदो न दाबल मे भरी लेधो,
चोकिया फेरन रातु न दिसु गोबा वधवा लागिया,
आम्बी रे साम्बी जाल रे फेकेरे जोगी, लाड़ी बान्ड़ी,
नागन फुफल फुगार,
मादल फेरू रातु न दिसु वधवा लागिया गोबा,
आम्बी रे साम्बी जाल रे फेकेरे जोगी उदालाल पानलाल,
रातु रे दिनु रे वधवा लागिया रे गोबा धोल फेरू,
रातु रे दिनु रे वधवा लागिया रे गोबा स्वर्ग ठलारो मार देधा,
गोबा वधबा लागिया चटकिया फुटकिया,
रामला गामला तपने लागिया,
तिरसठ जात न जनवार डोलन लागिया
तिरसठ जात न जनवार दाबला
म भरीन जोगी शोरी मामा न
झोपल गयो शोरी मामा
काई की काई भाई काई लाइयो जोगी बोलियो
तिरसठ जात ना जनवार दाबला
म भरीन लाईरियो शोरी मामा
कहियो की जोगी इन्छु कटियाला
जनवार काजे डुडिया में बसाड़ी न
समुद्र पली पार कर देजी
कापन गाय न गोह लागिया
बिच्च म गुवालिया पोरिया आया जोगी काजे पूछन लागियो,
इन्हु दाबला म काई लिजाई जोगी बाबा देधो दाबलो खोलिन
गुवालिया पोरिया देखिन घबराय गया
तिरसठ जनवार कहाँ ती लायो,
कुसल दाँत लहरीयो फेन वालो तो रेड़ भात
ना तो गुवालिया पोरियो
बोलिया कि जा बाबा इन्हूंक समुदु पली घड़ छोड़िया
दरिया न काट वाकि वरली
इस्माइल जोगी जाई हिडोल बाधियो
हिचत-हिचत दुट पड़यो गयो मगरमाच्छला
चुसी डसी खाई गयो,

- यह मंत्रांे के बाद में सभी देवी-देवता काम नाम बोलते हैं।

सातपुड़ी जमीन मुण्डीया सी राफ वासींग नाग,
बैलाबाबा, कुण्डी राणादेव, नाक में कुहतादेव, खाक में भवरा,
एक तागीया बबल, थानिया सुपड़ काडिया, शिवाबाबा,
महेश्वर वाला डेरा, नर्मदा माई, फुलबाई माता, बाघेश्वरी माता,
काली माई, कालका माता, डामरा माता, महीमाता, गायमुख माता,
भिलड़ देव, खेड़ा देवती, रानी काजल, भेस्टा कंुवर देव, नाहाराजा कुंवर।
ऊँकारजी बाबा, सिंगाजी बाबा, गणपति बाबा,
बलवारी बाबा, हनुमान, महाकालडेरा बाबा, हुनमान बाबा,
रामभगवान, भिमा, माता कुन्ती, सितामाता, महादेव गोरा,
चाँद, सूरज, मालदेव, उगवना, बुड़वना, तरफ मारा दरवाजे।

- यह मंत्र पूरा होने पर सर्प का जहर उतर जाता है, फिर उतारने वाला या बड़वा जंगल में जाता है और जंगली जड़ी-बूटी खोजकर लाता है। जड़ी-बूटी को बारीक पीसकर, पानी में घोलकर पिला देते हैं और वह सर्प का काटा हुआ अच्छा हो जाता है।