भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सगाई के गीत / 2 / राजस्थानी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:47, 6 सितम्बर 2018 का अवतरण
राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
थांका सासरिया से जी बना सा पेचा आया राज।
थे तो बांधो क्यू नहीं जी बना सा कांई हट लाग्या राज।
म्हरी सांकली को डोरो म्हारो बिन्दली कोर मकोड़ो।
म्हारा बाजूबंद की लूम बना सा कांई हठ लाग्या राज।।
थांका सासरिया से जी बनासा लोकिट आया राज।
थांका सासरिया से जी बना सा कंठा आया राज।
थांका सासरिया से जी बनासा घड़ियां आई राज।
थे तो बांधो कयू नहीं जी बनासा कांई हट लाग्या राज।।
थांके सासरिया से जी बनासा सूट आया राज।
म्हारी सांकली को डोरो म्हारी बिन्दली कोर मकोड़ो।
म्हारो बाजूबन्द की लूम बनासा कांई हट लाग्या राज।।
नोट-इसी तरह टाई, सफारी, जूते आदि के नाम लेकर गाएं।