भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सगाई के गीत / 6 / राजस्थानी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:50, 6 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKLokRachna |भाषा=राजस्थानी |रचनाकार= |संग्रह= }} {{KKCatRajasthaniRachna}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
घोड़ी म्हारी चतुर सुजान, निर्मलगढ़ से उतरी जी राज,
बाबाजी म्हारा बड़ा उमराव ऐ बड़ा ही सिरदार,
तेजन मोल कराइयो जी राज, दाद्यां म्हारी ऐली मैली डोले, कछु डगरो मरोड़
थारो बरज्यां न रहूं जी राज,
बहना म्हारी आरतड्यो संजोय,
तेजन मोल करायसां जी राज,
बनो म्हारो पून्यू को चांद पड़वा को सो चांद,
अंधेरा घर को दिवलो जी राज,
जावेला उस साजनिया री पोल,
बन्दड़ी ल्यास्यां रूप की राज,
बन्दड़ी म्हारी रूप सरूप ये वा घणी ये सरूप,
थाके पगां लागस्यां जी राज,
घोड़ी म्हारी चतुर सुजान, निर्मलगढ़ से उतरी जी राज,