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टीसन धरि / ककबा करैए प्रेम / निशाकर

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सभ केओ
छोड़ियौ
अपन-अपन
हठ।

हठक तारकें
नहि कसियौ
बेसी
कम सेहो
नहि कसियौ
बलू,
सितारक तार जकाँ
मध्यमे
रखियौ
तखने बहरायत
हठसँ
मोहक आ मादक धुन।

जिनगीक रेलगाड़ी
वन-पर्वत
नदी-नाला लाँघि
पहुँचि जयतैक टीसन धरि।