भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चाक गीत / 5 / राजस्थानी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:13, 7 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKLokRachna |भाषा=राजस्थानी |रचनाकार= |संग्रह= }} {{KKCatRajasthaniRachna}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
घर आने पर गाया जाने वाला गीत
मारी लाडली रा ऊबा दूखे पांव, थे करो न सवासणा आरत्यो जी,
थांका आरतड़या म रूपिया मेलू रोकड़ी, थे तो करो न जवाई सा आरत्यो
नोट- सवासणा की जगह जवाई के नाम बोल कर गीत बढ़ाएं।