भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सवेरा गीत / 1 / राजस्थानी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:09, 8 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKLokRachna |भाषा=राजस्थानी |रचनाकार= |संग्रह= }} {{KKCatRajasthaniRachna}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
माली थारा बाग में बाबासा बाई भांग जी
भांग भांग बाबासा पीग्या लारे रहग्या फूल जी
सिरदार बनासा सेवारो गुंथाय र सिर पर टांकल्यो।
उमराव बनासा गजरा गुंथाय र बनी रे भेजद्यो
माली थारा बाग में दादाजी बाई भांग जी
सरदार बनासा सेवारो गुंथाय र सिर पर टांकल्यो
उमराव बनासा गजरा गुंथाय र बनी रे भेजद्यो।