भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कामण गीत / 1 / राजस्थानी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:23, 8 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKLokRachna |भाषा=राजस्थानी |रचनाकार= |संग्रह= }} {{KKCatRajasthaniRachna}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जद र नवल बना कांकड़ आया, तो कांकड़ करवा झुकाया सा,
नवल बना गाढ़ा रीज्यो सा, असल दुख्यारो मारो देश,
दुशाला वाला गाढ़ा रीज्यो सा, असल दुख्यारो मारो देश,
लपेटा वाला गाढ़ा रीज्यो सा, असल दुख्यारो मारो देश।
नोट- कांकड़ की जगह पनघट, बागां, चौखट, पोल्या माया, फेरा का नाम लेकर पूरा करें।