भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गाली ब्याई जी को / 5 / राजस्थानी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:20, 12 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKLokRachna |भाषा=राजस्थानी |रचनाकार= |संग्रह=विवाह गीत / रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आओ न दारी बियायां जी वाली मांकी तो गली,
थांका तो परण्या की पगड़ी हीरा स्यू जड़ी।
रोधेश्याम की घड़ी, सांवरिया का रंग महल म राधक्या खड़ी।
जी कठा का थे रेवण वाला, कस्यो थांका गांव।
कसी गल्या म फरो अकेला कई थांको नाम।
रोधेश्याम की घड़ी, सांवरिया का रंग महल म राधक्या खड़ी।
जी गोकुल का मैं रेवण वाला मथुरा मांको गांव।
कुंज गजी में फरो अकेला कृष्ण हमारो नाम।
रोधेश्याम की घड़ी, सांवरिया का रंग महल म राधक्या खड़ी।