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गौरीपुर की एक सुबह / निशांत
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चूल्हे से उठता हुआ धुआँ
पूरे आसमान में फैल गया है
एक काली लड़की
अच्छे पति की आशा में
सोमवारी कर रही है
माँ की आँखों में
धुए जैसी उदासी बैठी है
थोड़े से लाल
थोड़े से गुलाबी
और थोड़े से हरे रंग की ज़रूरत हैं
इस चित्र में।