भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दोनों मजे में हैं / शिवराम
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:04, 17 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवराम |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
शहंशाह
आतंकित है
भेडिये से
भेड़िया आतंकित है
शहंशाह से
सारा जहां आतंकित है
भेड़िये से भी
और शहंशाह से भी
भेड़िया शहंशाह को मारने निकलता है
और मार डालता है निरीह जन
शहंशाह भेड़िये को मारने का हुक्म देता है
मारे जाते हैं आमजन
शहंशाह का दावा है
तोड़ दी गई है
भेड़िये की कमर
भेड़िये का दावा है
खिसका दी गई है
हवा शहंशाह की
सच्चाई तो यह है
कि, अभी दोनों मजे में हैं