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अदृश्य / मंजूषा मन
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सड़क पर बेतहाशा भागती वो
उसके पीछे भागते
चार चार पहाड़ से गुंडे देख
रुक जाते हैं सहम कर
आते जाते लोग,
देखते है भय और संवेदना से
और अगले ही पल
घबराकर
हो जाते हैं अदृश्य,
अपनी आँखों और मस्तिष्क से
कर देते हैं अदृश्य
पूरा का पूरा दृश्य।
पड़ोस के घर से आतीं
गालियों की आवाज
पीड़ा भरी चीखों की गूंज
सुनकर जमा हो जाते हैं लोग,
करते हैं
आपस में खुसुर पुसुर
चीखों की आवाज बढ़ने पर
बेहतर समझते हैं अदृश्यता।
किसी दुर्घटना ग्रस्त वाहन से
बहते हुए रक्त की
मोबाइल में लेकर तस्वीरें
अफसोस जता,
आहों और कराहों से बचने
हो जाते हैं अदृश्य।
हरबार
किसी को बचाने से
अधिक बेहतर समझते हैं,
खुद बचना
किसी सम्भावित संकट से,
घटना स्थल पर होते हुए भी
हो जाते हैं अदृश्य...