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पद / 3 / बाघेली विष्णुप्रसाद कुवँरि

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नैन कू प्यारे करि रख्यो श्याम।
प्यारी के वारने जाउ मैं नैन सों मेरो काम।
ब्रजसुन्दरी कहौ मेरी मानो प्राण ते प्यारी बाय।
छैल की प्यारी सुनो राधेरानी तुम्हें देख नहिं काम।
विष्णु कुँवारि रीझि पिय बोली छोड़ नैन के नाम॥