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बाघेली विष्णुप्रसाद कुवँरि / परिचय

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प्रताप कुँवरिबाई के समय के आस-पास कुछ अन्य देवियों ने भी हिन्दी पद्य-रचना की है। किन्तु कृतियाँ इस योग्य नहीं हैं कि उन पर विशेष ध्यान दिया जा सके। वास्तव में इस काल में पुरुष कवियों ने भी कोई विशेष चमत्कार नहीं दिखाया, स्त्री कवियों की कौन कहे। पुरुष-कवियों में बैरीसाल, किशोर, दत्त, रतन, ब्रजबासीदास, गोकुलनाथ, गोपीनाथ, मणिदेव, तीर्थराज, बोधा, पह्माकर, रघुराजसिंह और द्विजदेव ने लगभग इसी समय में की। इस कवि-मण्डली में पह्माकर, रघुराजसिंह और द्विजदेव को छोड़कर शेष में साधारण कोटि ही की कवित्त्व-शक्ति देख पड़ती है। पह्माकर का पद-लालित्य और भाषा-प्रवाह भले ही रघुराजसिंह में न हो, किन्तु इसमें सन्देह नहीं कि रघुराजसिंह भी अच्छे कवि थे। इन्हीं कवि की पुत्री श्रीमती बाघेली विष्णुप्रसाद कुँवरि थीं।

बाघेली विष्णु प्रसाद कुँवरि का जन्म संवत् 1903 में हुआ। अठारह वर्ष की अवस्था में इनका विवाह महाराज श्रीजसवंतसिंह के छोटे भाई किशोरसिंह से हुआ। संवत् 1955 में किशोरसिंह का स्वर्गवास हो गया। इस देवी ने ‘अवध-विलास’ ‘कृष्णविलास’ और ‘राधा-विलास’ नामक ग्रंथों की रचना की।