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पद / 6 / चन्द्रकला
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बिन अपराध मनमोहन को दोष थामि,
काहे मनमान धारि प्यारी दुख पावै है।
चलि री निकुंज माहिं मिलि री पिया सों बेगि,
मन बच काम लाय तो ही धरि ध्यावै है॥
‘चन्दकला’ तेरे ही सनेह सने एक पाय
ठाढ़ै ह्वै जमुना तीर पीर सरसावै है।
लै लै नाम तेरा ही बखाने तोहिं प्रान प्यारी,
सुनि रो गुपाल लाल बाँसुरी बजावै है॥