भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पद / 6 / रानी रघुवंशकुमारी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:53, 19 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रानी रघुवंशकुमारी |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
सीतल मन्द सुगंध समीर लगे जपि सज्जन की प्रिय बानी।
फूलि रहे बन-बाग समूह लहै निमि कीर्ति गुणकार ज्ञानी॥
नीक नवीन सुपल्लव सोह वढ़ै जिमि प्रीति के स्वारथ जानी।
गान रै कल कीर चकोर बढ़ैं जिमि बिप्र सुमंगल बानी॥