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आवाज़ से लबों का बहुत फ़ासिला न था / वसीम बरेलवी

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आवाज़ से लबों का बहुत फ़ासिला न था
लेकिन वो ख़ौफ़ था कि बोलता न था

आंसू को ऐतबार के क़ाबिल समझ लिया
मैं खुद ही छोटा निकला तेरा ग़म बड़ा न था

उसने ही मुझको देखा ज़माने की आंख से
जिसको मेरी नज़र से कोई देखता न था

उन अजनबीयातों के सताये हैं इन दिनों
जैसे कभी किसी से कोई वासिता न था

हर मोड़ पर उम्मीद थी, हर सोच आरज़ू
खुद से फरार का भी कोई रास्ता न था

अपना यह अलमिया है कि हम ज़ेहनी तौर पर
उस शहर में रहे, जो अभी तक बसा न था

कैसी गिरावटों पे खड़ी थीं, मगर 'वसीम'
ऊँची इमारतों से कोई पूछता न था।