भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सपने केवल सपने हैं / अजय अज्ञात
Kavita Kosh से
Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:35, 29 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अजय अज्ञात |अनुवादक= |संग्रह=इज़...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
सपने केवल सपने हैं
बेशक सुंदर दिखते हैं
झूठे जग के रिश्ते हैं
कतरा कतरा रिसते हैं
बस जिस्मानी हैं बंधन
दिल से दिल कब मिलते हैं
अंजाने बिन शादी के
इक घर में संग रहते हैं
सच्चीझूठी बातों से
इक दूजे को छलते हैं
करते रहते जो आलस
वो हाथों को मलते हैं