भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रोटी के गीत / रमाकांत द्विवेदी 'रमता'

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:31, 30 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमाकांत द्विवेदी 'रमता' |अनुवादक=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जगत में रोटी बड़ी महान !

बिन रोटी क्या पूजा-अर्चा-तीरथ-बरत-नहान
छापा-तिलक-जनेऊ-कंठी-माला कथा-पुरान

बिन रोटी सब सूना-सूना घर-बाहर-मैदान
मन्दिर-मस्जिद-मठ-गुरुद्वारा-गिरजाघर मसान

रोटी बढ़कर स्वर्ग लोक से, रोटी जीवन प्राण
रोटी से बढ़कर ना कोई देव-दनुज-भगवान

सो रोटी उपजे खेती से, खेती करे किसान
जो किसान का साथ निबाहे, सो सच्चा इनसान

रचनाकाल : 15.06.1988