गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 15 अक्टूबर 2018, at 18:54
कितना कोमल, कितना वत्सल / गोपाल सिंह नेपाली
अनिल जनविजय
(
चर्चा
|
योगदान
)
द्वारा परिवर्तित 18:54, 15 अक्टूबर 2018 का अवतरण
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोपाल सिंह नेपाली |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
हिन्दी/उर्दू
अंगिका
अवधी
गुजराती
नेपाली
भोजपुरी
मैथिली
राजस्थानी
हरियाणवी
अन्य भाषाएँ
गोपाल सिंह नेपाली
»
Script
Devanagari
Roman
Gujarati
Gurmukhi
Bangla
Diacritic Roman
IPA
कितना कोमल,
कितना वत्सल,
रे ! जननी का
वह अंतस्तल,
जिसका यह शीतल
करुणा जल,
बहता रहता
युग-युग अविरल