भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
छोटा सा अकेलापन / यानिस रित्सोस / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:34, 17 अक्टूबर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=यानिस रित्सोस |अनुवादक=अनिल जनवि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
आंगन के इस कोने में,
साबुन के झाग भरे पानी से
घिरी क्यारी में,
कुछ गुलाब फैला रहे हैं अपनी सुगंध
पर कोई
इन गुलाबों को
नहीं सूँघता।
कैसा भी हो अकेलापन
छोटा नहीं होता।
अंग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय