भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मईया के कलशा धरायब गे माई / मैथिली लोकगीत
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:30, 23 अक्टूबर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=देवी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
(कुम्हरा घर से कलशा मंगायेब, मईया के कलशा धरायब गे माई)- 2
किनका चढ़ायेब बेली चमेली, किनका चढ़ायेब गुलाब गे माई
किनका चढ़ायेब ओरहुल फुलबा, मईया के कलशा धरायब गे माई
लक्ष्मी चढ़ायेब बेली चमेली, सरसती चढ़ायेब गुलाब गे माई
दुर्गा चढ़ायेब ओरहुल फुलबा, मईया के कलशा धरायब गे माई
किनका से माँगब अन्न धन सोनमा, किनका से माँगब गेयान गे माई
किनका से माँगब गोदी के बलकवा, मईया के कलशा धरायब गे माई
लक्ष्मी से माँगब अन्न धन सोनमा, सरसती से माँगब गेयान गे माई
दुर्गा से माँगब गोदी के बलकवा, मईया के कलशा धरायब गे माई