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बोझ / भारत यायावर
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मैंने अपना दे दिया तुम्हें
सब कुछ
और मुक्त हो गया
तुमने उसे दे दिया अपना
सब कुछ
और मुक्त हो गए
उसने किसी और को दे दिया अपना
सब कुछ
और मुक्त हो गया
सबने अपनी मुक्ति के लिए ऐसा किया
सबने बोझ उतारा
अपना-अपना
सबने ख़ुद को मुक्त किया
पर यह सिर्फ़ कोशिश थी
अगले रोज़ फिर लद गए
उतने ही बोझ से
इतना कि माथे से पसीना बहा
पर एक आदमी ऐसा भी था
उफ़ तक नहीं की
अपना बोझ उठाए
सुबह से शाम तक चला
अपना बोझ उठाए घर आया
खाना खाया
चैन से सोया
बोझ उठाए ही हँसा
देर तक
दोस्तों-परिजनों के बीच
वह मुक्त रहा
बिना मुक्ति की चाह किए