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अपनी गर्म उँगलियों से / कविता भट्ट

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अपनी गर्म उँगलियों से
तुम्हारी सर्द हथेली पर
चिरयौवना आस से
नवजीवन का प्यार लिखूँगी ।

कलम की अठखेलियों से
तुम्हारी कठिन पहेली पर
अनुभूति विश्वास से'
गुँथा सर्वाधिकार लिखूँगी ।

प्रेम से सनी कलियों में
खाली दीवार अकेली पर
दिग्दर्शन उजास से
प्रेमांकन हर-बार लिखूँगी ।

बेघर हूँ माना, गलियों में,
लेकिन खुशियों की ठेली पर
नव कालखंड प्रवास से
रंगायन संचार लिखूँगी ।

हो ,न हो अपना, छलियों में
लेकिन गुड़ की भेली पर
रचनात्मक उपवास से
अपनापन आभार लिखूँगी ।

(31-12-2018 )