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सावन आया है / रामेश्वर नाथ मिश्र 'अनुरोध'

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बिजली-सी कजली की धुन सुन,
 विरहन-सी दुलहन तज ठनगन,
निकली आँगन में बनठन कर,
जाना जब ननदी का वीरन-
परदेसी पाहुन आया है;
अभी अभी सावन आया है।