Last modified on 3 मार्च 2019, at 12:47

अझुरायल परान / रामकृष्ण

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:47, 3 मार्च 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामकृष्ण |अनुवादक= |संग्रह=संझा-व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अँगना में पसरल इंजोरिया हो
सुतरल एसो धान,
जिनगी के कनसल उमिरिआ हो
ललिआएल बिहान॥

माटी के कन-कन में उमगल सिनेहिआ
गावइ पिरितिआ के गीत।
गोधन के दिनमा से असराएल मनमा
सपना हे हिरदा के मीत॥

अँगिआ में हरखे गुदगुदिआ हो
अझुराएल परान॥

बगिआ में कइसेतो उचरइ बँसुलिआ
नदिआ के मनहारल धार।

दुबिअन पर चकमक के नन्हमुनियाँ मोती
धरती के अजगुत सिंगार॥

पोखरा फुलाएल पुरैनिआँ हो
सुरिआएल गेयान॥
बरती के अँचरा में सरधा उरेहल
पिपनीतर मन्नित के बोल।
जिनगी-रसे मातल लहसे असरवा
परखइ सिनेहिआ के मोल॥
छानी तर उझकइ चन्ननिआँ हो
सुधिआएल किसान॥